भारत में पेट्रोल की बढ़ती कीमतें और प्रदूषण की गंभीर समस्या के बीच प्रयागराज से एक ऐसी खबर सामने आई है, जिसने ऑटोमोबाइल सेक्टर में नई बहस छेड़ दी है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र और प्रयागराज निवासी शैलेंद्र गौर ने सिक्स-स्ट्रोक तकनीक पर आधारित एक देशी बाइक इंजन विकसित करने का दावा किया है, जो एक लीटर ईंधन में करीब 170 से 176 किलोमीटर तक चल सकता है। अगर यह तकनीक बड़े स्तर पर प्रमाणित और अपनाई जाती है, तो यह मौजूदा माइलेज मानकों को पूरी तरह बदल सकती है।
शैलेंद्र गौर की यह उपलब्धि रातों-रात नहीं आई। उन्होंने करीब दो दशकों तक लगातार प्रयोग, रिसर्च और मेहनत की। सीमित संसाधनों के बावजूद उन्होंने अपने किराए के घर को ही प्रयोगशाला में बदल दिया। जानकारी के अनुसार, इस सफर में उन्होंने अपनी जमीन, दुकान और अन्य संसाधन तक बेच दिए, लेकिन अपने सपने से पीछे नहीं हटे। यही कारण है कि उनकी कहानी सिर्फ एक तकनीकी खोज नहीं, बल्कि जुनून और धैर्य की मिसाल भी बन गई है।
शैलेंद्र गौर द्वारा विकसित इंजन पारंपरिक फोर-स्ट्रोक इंजन से अलग है। उनका दावा है कि यह सिक्स-स्ट्रोक इंजन ईंधन की ऊर्जा का करीब 70 प्रतिशत तक उपयोग करता है, जबकि आम इंजन लगभग 30 प्रतिशत ऊर्जा ही इस्तेमाल कर पाते हैं। अतिरिक्त स्ट्रोक के कारण दहन अधिक प्रभावी होता है, जिससे माइलेज बढ़ता है और गर्मी व ईंधन की बर्बादी कम होती है।
इस देशी इंजन की सबसे बड़ी खासियत इसकी मल्टी-फ्यूल क्षमता है। इसे पेट्रोल के अलावा सीएनजी, एथेनॉल और अन्य वैकल्पिक ईंधनों पर भी चलाने के लिए डिजाइन किया गया है। शैलेंद्र गौर का दावा है कि इस तकनीक से कार्बन मोनोऑक्साइड और अन्य हानिकारक गैसों का उत्सर्जन बेहद कम होता है। यहां तक कि बाइक के साइलेंसर का तापमान भी सामान्य इंजनों की तुलना में काफी कम रहता है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शैलेंद्र गौर ने एक टीवी कार्यक्रम में अपनी मॉडिफाइड बाइक का लाइव प्रदर्शन भी किया था, जहां बाइक ने एक लीटर पेट्रोल में लगभग 120 किलोमीटर चलकर सबको चौंका दिया। वहीं प्रयोगशाला और टेस्टिंग के दौरान 176 KMPL तक के माइलेज का दावा किया गया है। खास बात यह है कि यह तकनीक किसी नई बाइक पर नहीं, बल्कि पुरानी बाइक को मॉडिफाई कर तैयार की गई है।
इस अनोखी तकनीक के लिए भारत सरकार की ओर से दो पेटेंट भी मिल चुके हैं। शैलेंद्र गौर का कहना है कि अगर सरकार और ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री से उन्हें उचित समर्थन और निवेश मिले, तो इस तकनीक को बाइक, कार, बस, ट्रक और यहां तक कि जहाजों में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे न सिर्फ ईंधन आयात पर निर्भरता घटेगी, बल्कि प्रदूषण पर भी बड़ा नियंत्रण संभव होगा।
प्रयागराज के इस इंजीनियर की कहानी यह दिखाती है कि बड़ी खोजें सिर्फ बड़ी कंपनियों से नहीं, बल्कि एक व्यक्ति के संकल्प से भी जन्म ले सकती हैं। सिक्स-स्ट्रोक इंजन आज भले ही प्रोटोटाइप स्तर पर हो, लेकिन यह आत्मनिर्भर भारत और मेड-इन-इंडिया इनोवेशन की भावना को मजबूती देता है।
डिस्क्लेमर: इंजन से जुड़े माइलेज और उत्सर्जन के दावे आविष्कारक और मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित हैं। बड़े स्तर पर उपयोग से पहले स्वतंत्र तकनीकी परीक्षण और आधिकारिक प्रमाणन जरूरी होगा।
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